[यह इंग्लिश विडियो “An Introduction to Prophecy in History” का हिन्दी संस्करण है.]
मेरे पास आपको बताने के लिए कुछ है जिसने मेरे जीवन पर अत्यधिक अच्छा प्रभाव डाला है. यह एक बड़ा बिषय है. सिर्फ भविष्यवाणी शब्द लोगों के मन में अलग विचारों को लाता है. अत: मैं इसे थोडा सीमित करने जा रहा हूँ. परन्तु मैं पहले अपने विषय में कुछ कहना चाहूँगा ताकि आप इस विषय पर मेरी दिलचस्पी के बारे में समझ जाएँगे.
मेरा पालन-पोषण टेक्सास में हुआ और मैं आत्मिक जानकारी के पहले विश्वविद्यालय में था. उस समय मैं एक नास्तिक था जो और उन लोगों को उनके विश्वास से हटाने में लगा रहता था जो परमेश्वर पर विश्वास रखते थे. लेकिन सिर्फ अनुभवों के द्वारा मैं यह विश्वास नहीं कर सका कि एक आत्मिक संसार नहीं है. मैं “धार्मिक नहीं बनना चाहता था. परन्तु मैंने दोनों अच्छी और बुरी आत्माओं के संसार का अनुभव किया. और मैंने अच्छी आत्माओं के साथ रहना चाहा.
मेरी खोज मुझे अलग-अलग समूहों में ले गई और अंतत: कुछ जवान लोगों से मिला जोकि वास्तव में मसीही थे और यीशु के सनकी कहलाते थे. उन्होंने मुझे बाइबल कि सच्चाईयों को समझने में मेरी सहायता की. परमेश्वर ने मेरे जीवन में एक नई शुरुवात की और वास्तव में मैंने अपना जीवन उसे समर्पित कर दिया. अभी मैंने ३६ वर्षो से अधिक का समय विदेशों में व्यतीत किया और यह एक अदभुत जीवन था लिसके लिए मैं धन्यवादी हूँ.
अत: जब मैं “भविष्यवाणी” कहूँ तब मैं बाइबल में कि भविष्यवाणी के लिए ही बोल रहा हूँ. और यही हमारी विषय वस्तु है. हम लोग दानिएल भविष्यवक्ता के बारे में अध्धयन करने जा रहे हैं. वास्तव में जब यीशु से भविष्य के बारे में पूछा गया तब उसने विशेष रूप से दानिएल भविष्यवक्ता के लिए उल्लेख किया. उसने कहा “इसलिए जब तुम …….(भविष्य की घटनाएँ)….जिसकी चर्चा दानिएल भविष्यवक्ता के द्वारा …….(जो पढ़े वह समझे). …. (मत्ती २४:१५)
मैं समझता हूँ कि आप में से बहुत से लोग इसके बारे में जानते होंगे और विस्तार में जानने के इच्छुक होंगे. और आप में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो इस बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं. और यदि मुझे इन दोनों समूहों में से चुनना होगा तो मेरा उद्धेश्य उनसे होगा जो इस विषय में नए हैं. क्योंकि लगभग इसी प्रकार मैं आगे बढ़ा. और शायद यह एक कारण है कि मैं यह चाहता हूँ कि परमेश्वर के वचन के सत्य के रोमांच और सच्चाईयों को जाने.
आप में से कई यह आश्चर्य कर रहे होंगे कि “संसार में भविष्यवाणी क्या है”? और आप सोचते होंगे कि एक दिन संसार का अंत हो जाएगा. मैं भी इसी प्रकार सोचा करता था और यह सब मुझे बकवास और विचित्र प्रतीत होती थी.
ठीक है अब हम देखेंगे कि क्या सचमुच ऐसा कुछ है जोकि लगभग सभी लोग जानते है जिसकी घटित होने के सदियों पूर्व भविष्यवाणी की गई. यह कहना आसान होगा कि जो भी इसको पढ़ रहा है वह क्रिसमस को जानता होगा. और जैसा कि आप जानते हैं कि क्रिसमस पर बहुत से लोग प्राय: क्रिसमस करोल गाते हैं. यह यीशु के जन्म का मनाया जाना है, और आपने युसूफ और मरियम की बालक यीशु के साथ फोटो देखा होगा.
और शायद आपने यह पुराना क्रिसमस करोल सुना होगा जिसे मैं गा नहीं सकता पर जिसके बोल लगभग ऐसे हैं ““Oh little town of Bethlehem, how still we see thee lie…”. यह क्रिसमस करोल यरूशलेम के निकट उस शहर के बारे में है जहाँ यीशु पैदा हुआ था. शायद आप पहले से ही यह जानते होंगे कि वह वहाँ पैदा हुआ था या शायद आपको यह याद होगा कि पहले कहीं सुना है.
कम से कम कुछ तो है है जो आप जानते हैं. तब आइये हम बाइबल में देखें. आइये हम पुराने नियम में मीका भविष्यवक्ता कि पुस्तक को देखें. यह लगभग ७०० BC की है. हम अध्याय ५ के २ रे पद को देखेंगे. इसमें परमेश्वर कि आवाज के समान कोई गाँव बैतलेह्म को बोल रहा है.
यह कहता है “ हे बैतलहम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझमे से एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करने वाला होगा; और उसका निकलना प्राचीन काल से वरन अनादि काल से होता आया है.” (मीका ५:२)
यहाँ परमेश्वर बैतलहम से कह रहा है कि यद्धपि बैतलहम (उस समय इजराइल का एक राज्य) यहूदा के क्षेत्र में एक छोटा स्थान है, फिर भी बैतलहम से एक जन निकलेगा जो अंतत: परमेश्वर के लोगो पर राज्य करेगा. और वह प्राचीन काल से अनन्तकाल तक राज्य करेगा.
पुराने नियम से यह एक सीधी भविष्यवाणी है जोकि यीशु के जन्म के सैंकड़ो वर्षो पहले, यह घोषणा करते हुए कि मसीहा, वह राजा जिसे परमेश्वर भेजेगा कहाँ जन्म लेगा की गई थी. और इसी प्रकार बहुत सी भविष्यवाणी की गई.
जब यह विषय मेरे लिए नया था, तब मुझे यह स्वीकार करने में समय लगा कि वहां स्वर्ग में एक शक्ति है, बाइबल के परमेश्वर कि शक्ति जोकि इस संसार के हजारों वर्षों के बारे में भविष्यवाणी करती है. और ये भविष्यवाणी अक्षरश: पूरी होती हैं. यह मेरे लिए आश्चर्यचकित कर देने वाला था. और कुछ मायनों में अभी भी है. यही वह सब है जिसका हम अध्ययन करने जा रहे हैं: भविष्यवाणी जो पूरी हो चुकी और भविष्यवाणी जो पूरी होने वाली है.
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परन्तु जब मैंने बैतलहम में यीशु के जन्म का उल्लेख किया, तब मैं यह चाहता था कि ऐसा कुछ हो जिससे सभी परिचित हों. और जब हमने बाइबल में से देखा कि उसके जन्म के सैंकड़ो वर्ष पूर्व यह भविष्यवाणी दी गई थी कि यीशु बैतलहम में जन्म लेगा, आप इसके महत्त्व को समझ कर मूल्यांकन कर सकते हैं. अत: अब हम संक्षेप में मानव इतिहास कि पृष्ठभूमि को देखने जा रहे हैं ताकि चर्चा के लिए एक स्टेज बना सकें जिससे भविष्यवाणी के चिन्ह देख सकें जो कही गई और बाद में पूर्ण हुई.
परमेश्वर ने एक मनुष्य को लगभग ४००० वर्षों ( 2000BC) चुना. वह संसार के उस भाग से आया जिसे हम आज इराक कहते हैं. उसका नाम अब्राहम था. अब्राहम के वंश से वे लोग आए जिन्हें आज हम यहूदी के नाम से जानते हैं. इस कारण, अरबी और मुस्लिम विश्वास धारण करने वाले लोग भी अब्राहम के मूल से निकले हुए हैं.
परन्तु पुराना नियम तो यहूदियों कि पुस्तक है. इसलिए भविष्यवाणी को समझने के लिए, हमारे पास यहूदियों के इतिहास की सरसरी जानकारी होना चाहिए. इसी समय हम यीशु और रोमन साम्राज्य तक प्राचीन सम्राटों के उत्थान और पतन को भी देखेंगे.
यहाँ बाइबल के कुछ मुख्य व्यक्ति और उनके इतिहास में स्थान हैं. अब्राहम का स्थान लगभग 2000BC और यीशु का 30AD. इन तिथियों के बीच में मूसा का स्थान 1400BC, राजा दाउद 980BC, और दानिएल जिसके लेख का हम अध्ययन करने जा रहे हैं, लगभग 600BC.
बाइबल का इतिहास
किसी ने इसको एकत्रित किया और मैंने इसे इजराइल के इतिहास और उसके चरणों के स्थान को स्मरण रखने का सरल तरीका पाया. ये “इजराइल के इतिहास के सात काल” कहलाते हैं. आरम्भ करने के लिए हमारे पास “Abraham to Egypt” है.
परमेश्वर ने स्वयम मनुष्य अब्राहम से बात किया और उससे कहा कि इस देश को छोड़ दे उस नए स्थान की ओर यात्रा कर जिसे कि देने के लिए परमेश्वर ने उसे कहा था. अब्राहम फुरात नदी के ऊपर से यात्रा करके नीचे कनान कि भूमि तक पहुंचा, अर्थात वह स्थान जिसे आज हम फिलिस्तीन और मिस्त्र के नाम से जानते हैं.
हर समय परमेश्वर अब्राहम से यह वादा करता रहा कि अंतत: उसे एक महान राष्ट्र बनाएगा. शायद अब्राहम की सबसे बड़ी विशेषता परमेश्वर में विश्वास करना था. उदहारण के लिए, अब्राहम के लिए इस विषय में परमेश्वर पर जो वह कह रहा था विश्वास करना कठिन था क्योंकि इस समय तक अब्राहम और उसकी पत्नी दोनों ७०,८०,और ९० के हो चुके थे और उनकी कोई संतान नहीं थी. सो कैसे अब्राहम एक महान राष्ट्र का पिता बन सकता है? लेकिन “अब्राहम ने अपना विश्वास” बनाये रखा, सिर्फ इसलिए कि परमेश्वर जानता है कि वह कैसे करेगा. और अंतत: अब्राहम की पत्नी सारा को एक पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ. और समय बीता और इसहाक का विवाह हुआ और उसकी पत्नी रिबका ने एसाव और याकूब जुड़वाँ बच्चो को जन्म दिया.
मैं आपको सिर्फ हाईलाईट दे रहा हूँ, बहुत से रोचक भाग हैं जिन्हें मैं छोड़ रहा हूँ. यह सब बाइबल की पहली पुस्तक “उत्पत्ति” में है. और जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं वह लगभग चार हजार वर्षो पूर्व फिलिस्तीन में घटित हुआ जो उस समय कनान कहलाता था.
इसी क्रम में याकूब का विवाह हुआ, वास्तव में उसकी दो पत्नियाँ और १२ बेटे और एक बेटी थे. उसके एक बेटे का नाम युसूफ था. समय बीतते गया और युसूफ अपने पिता का सबसे प्रिय हो गया. और ऐसा लगता है कि परमेश्वर खुद यह इंगित कर रहा था कि युसूफ अपने भाइयों में से एक विशिष्ट होगा. और ऐसा ही हुआ, उसके भाई ईर्षा से पागल हो गए और उन्होंने युसूफ को कुछ लोग जो मिस्त्र जा रहे थे उनके हाथ बेच दिया.
लेकिन वास्तव में यह परमेश्वर की योजना थी. अंत में युसूफ मिस्त्र का दूसरा व्यक्ति बन गया अर्थात फिरोन के बाद का स्थान उसका था. बहुत वर्षो के बाद जब अकाल पड़ा तो उसके भाई मिस्त्र में अनाज मोल लेने के लिए आए. यह एक असाधारण घटना है. लेकिन युसूफ उन्हें पहिचान गया और उसने अपने पिता समेत सारे परिवार को मिस्त्र में अपने संरक्षण में ले आने को सम्भव किया. और वे वहाँ अगले ४०० वर्षों तक रहे और बढ़ते गये यहाँ तक कि वे एक बड़ा राष्ट्र बन गये जैसा कि परमेश्वर ने कहा था.
इजराइल के इतिहास का अगला भाग से भी आप भली-भांति परिचित होंगे. अपने “दस आज्ञाएँ” के बारे में सुना होगा? यह भाग “निर्गमन” कहलाता है. यही नाम बाइबल की दूसरी पुस्तक का है. यह भाग लगभग 1400BC का है, और इसके मुख्य किरदार मूसा, हारून जो मूसा का भाई था और यहोशू जिसे परमेश्वर ने मूसा कि मृत्यु के पश्चात् यहूदियों कि अगुवाई करने के लिए चुना. मूसा भी कुछ हद तक युसूफ के समान था, वह भी यहूदी था और उसकी भी मिस्त्र में बहुत ऊँची पदस्थापना थी. यद्धपि परमेश्वर ने मूसा से सीधी बात की और वह चाहता था कि मूसा मिस्त्र से यहूदियों को निकालकर लाए. उन्हें लौटकर कनान देश में आना था जहाँ उनके पूर्वज थे.
मूसा की अगुवाई में और परमेश्वर की उपस्थिति में आश्चर्यजनक रीति से उन्होंने लाल समुन्दर को पार किया, और सिनाई रेगिस्तान को पार करते हुए अंतत: विजय प्राप्त करते हुए कनान कि भूमि में फिर से प्रवेश करने पाए. इसी दौरान परमेश्वर ने मूसा को दस आज्ञाएँ और व्यवस्था दिया जिसके द्वारा इजराइल का राष्ट्र को चलाया जाना था.
मैं यह बताना चाहता हूँ कि इस घटना के सैंकड़ो वर्षो पूर्व परमेश्वर ने पहले ही यह बता दिया था कि आगे क्या होने वाला है. निर्गमन के चार सदियों पूर्व परमेश्वर ने अब्राहम से स्वप्न में कहा था. उत्पत्ति १५: १३,१६ “तब यहोवा ने अब्राहम से कहा, यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे,[और यह उनके साथ मिस्त्र में हुआ] और उस देश के लोगों के दास हो जाएँगे;[वे वास्तव में मिस्त्र में गुलाम थे] और वे उनको चार सौ वर्ष तक दू:ख देंगे.[जब तक यह पूरा नहीं हुआ तब तक वे वहीँ थे] १६ पर वे चौथी पीढ़ी में यहाँ फिर आएँगे.
और वास्तव में यहूदियों के मिस्त्र से निर्गमन और कनान में वापसी में हुआ. उनकी वापसी के बाद उन्होंने कनान पर विजय प्राप्त की और एक सरकार की रचना की जिसे हम ईश्वर कर्तव्य राज्य भी कह सकते हैं जिसमे वे लगभग अगले ३०० वर्षो तक रहे. अर्थात वे परमेश्वर के द्वारा शासित होते रहे. उन लोगो के पास कोई संसद या राजा नहीं था. परन्तु वे उस व्यवस्था और आज्ञाओं के अनुसार शासित होते रहे जो परमेश्वर ने मूसा को दी थी. और एक जाति जो लेवी कहलाती थी वे इन सबका पालन किया जाना सुनिश्चित करते थे.
इस समय को “न्यायियों का समय” कहा जा सकता है. क्योंकि हर समय संकट के समय परमेश्वर अपने चुने हुओं को उठाता था कि वे इजराइल कि अगुवाई करें. जैसे गिदोंन सैमसन और दवोरा. राष्ट्र कि एकता मूल रूप से आत्मिक एकता थी, और लोग कनान या इजराइल के विभिन्न क्षेत्रों में अपने-अपने समुदाय के अनुसार रहते थे.
1050BC के आस-पास इजराइल में कुछ मुख्य परिवर्तन होने लगे. परमेश्वर ने एक बहुत धार्मिक याजक शमूएल को चुना. लेकिन इजराइल के लोगों ने दुसरे देशों के समान राजा चुनने के लिए जिद करने लगे. यद्धपि परमेश्वर ने पहले ही इस बात के लिए मनाही की थी लेकिन लोग शमूएल से जिद करने लगे कि उन्हें राजा दे. परिणामस्वरूप परमेश्वर ने शमूएल की अगुवाई किया वह उनके लिए शाऊल नामक व्यकित को उनका राजा होने के लिए चुना.
आरम्भ में तो शाऊल परमेश्वर का सच्चा मनुष्य था जिसने सब इस्राएलियों को उनके कुछ शत्रुओं के विरुद्ध एकत्रित किया. सभी इसरायली शाऊल के अधीन एकत्रित हो गए और सब कुछ अच्छा होने लगा. वह समय जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं “United Kingdom” कहा जा सकता है. इस समय तक इजराइल अलग अलग समुदायों से निकलकर एक याजकीय समुदाय बन गया था. अंतत: वे मिडिल ईस्ट में एक शक्तिशाली राष्ट्र बन गए.
लेकिन अंत में शाऊल का जीवन बाइबल में एक दुःख दाई कहानी बन गया. जैसे जैसे वह इजराइल में अधिक आदर और सफलता प्राप्त करता गया वैसे वैसे वह शमूएल के द्वारा परमेश्वर कि आज्ञाएँ उसे मिलती थी उन्हें कम से कम पालन करने लगा. इसी कारण परमेश्वर ने शमूएल से एक नया राजा नियुक्त करने को कहा. इस प्रकार इजराइल के सबसे चहेते और याद रखे जाने वाले राजा दाऊद कि नियुक्ति हुई. शमूएल से कहा गया कि “….यहोवा ने अपने लिए एक ऐसे पुरुष को ढूंढ लिया है जो उसके मन के अनुसार है”.(१शमुएल १३:१४)
और निश्चित रूप से राजा दाऊद के लिए यह एक उचित वर्णन था. राजा दाऊद के अधीन इजराइल अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचा क्योंकि दाऊद ने एक राजा, भविष्यवक्ता और अपनी प्रार्थनाओं में कुछ हद तक याजक का रोल भी निभाया. युद्ध में, या प्रार्थना में, या अपने पापों के पश्चाताप में दाऊद ने एक उदहारण स्थापित किया, और अपने लोगों के द्वारा सदा “इजराइल का प्रकाश” कहलाया जाता रहा. पुन: हम यहाँ भी प्राचीन भविष्यवाणी को देखेंगे कि इस समय पूरी हुई या नहीं. हम फिर पिछले 1000 वर्ष दाऊद से पहले, अब्राहम के समय में देखेंगे जब वह एक बूढ़ा आदमी था जिसकी एक बूढी पत्नी भी थी और उनके कोई संतान नहीं थी. “इसी दिन यहोवा ने अब्राहम के साथ यह वाचा बांधी ‘मिस्त्र के महानद से लेकर परात नामक बड़े नद तक जितना देश है … मैंने तेरे वंश को दिया है.’”(उत्पत्ति १५:१८)
दाऊद और उसके बाद सुलेमान के जीते हुए सम्राज्य में इजराइल की सीमाएं मिस्त्र की सीमा से लेकर परात नदी तक फैली हुई थी जैसा कि परमेश्वर ने 1000 वर्ष पहले अब्राहम को कहा था.
दाऊद का पुत्र सुलेमान United Kingdom का तीसरा और अंतिम राजा था. परमेश्वर ने उसके राज्य शासन के आरम्भ से ही उसकी प्रार्थना के अनुसार उसे दे दिया था. सुलेमान ने परमेश्वर से बुद्धिमत्ता/ज्ञान माँगा था कि वह परमेश्वर के लोगों पर शासन कर सके. और वह ज्ञान अभी तक बाइबल में नीतिवचन कि पुस्तक से पढ़े और सुने जाते हैं.
दुर्भाग्यवश दाऊद राजा के समान शक्तिशाली और ईश्वरीय नेतृत्व का प्रभाव उसकी दुसरे वंशजों में शायद ही देखने को मिलता है. यही हुआ जिसके फलस्वरूप यहूदी राष्ट्र का अंततः विभाजन हुआ. सुलेमान का पुत्र रहोबाम को अपने पिता के स्थान पर राज्य करना था. लेकिन उसके पास ना तो अपने दादा के समान ह्रदय था और ना ही अपने पिता के समान बुद्धिमत्ता. पूर्व में एकत्रित जाति द्वारा एक विद्रोह उठा जिसके फलस्वरूप इजराइल का सम्राज्य और राष्ट्र विभक्त हो गया.
यहाँ से “The Divided Kingdom” का समय आरम्भ हुआ. ये १० उत्तरी जातियाँ मूलतः एक विद्रोही द्वारा संचालित कि गई थी इन्होने अपनी राजधानी उत्तर में बना ली थी. ये १० उत्तरी जातियाँ उस समय “इजराइल” कहलाती थी. सिर्फ वह जाति अर्थात दाऊद का परिवार जो यहूदा से आया, साथ ही शाऊल की जाति, बेन्जामिन, ये सब राष्ट्र के दक्षिण भाग में रहते थे. ये लोग यहूदा कहलाते थे.
अत: लगभग 920 BC में United Nation के 100 वर्ष बिताने पर यहुदो लोग दो राष्ट्रों में विभक्त हो गए. अगले 200 वर्षों में उत्तरी भाग “इजराइल” बद-से-बदतर हो गया. क्या अपने कभी “Jazebel” का नाम सुना है? आज भी इस शब्द का अर्थ एक बेशरम औरत है. वह इजराइल के एक राजा की विदेशी पत्नी थी. परमेश्वर ने एलियाह और होशे जैसे भविष्यवक्ता को उनके स्वधर्म त्याग और यदि वे परमेश्वर के पास नहीं लौटे तो आने वाले न्याय के बारे में चेतावनी देने भेजा. लेकिन उन्होंने उनकी न सुनी.
722 BC में कुछ अकल्पनीय घटा. परमेश्वर ने ऐसा होने दिया कि उत्तरी इजराइल पर Assyrians की विदेशी शक्तियों द्वारा कब्ज़ा हो और उन्होंने बहुत से लोगो को गुलाम और बंधक बना कर पूर्व में ले गए. वह राष्ट्र जिसे परमेश्वर में लाया और जो उसका कहलाता था तबाह हो गया जैसा कि उनके भविष्यवक्ता होशे ने कहा था, और “वे जाति-जाति के बीच मारे-मारे फिरेंगे” (होशे ९:१७)
लेकिन दक्षिणी जाति “यहूदा” दृढ खड़ा रहा. जिसका एक सरल कारण यह था कि ये लोग और उनके राजा यदा-कदा परमेश्वर के नजदीक रहे. ये लोग कम मूर्तिपूजक और उत्तरी इजराइल कि तुलना में अधिक नम्र और विश्वासी थे और इसलिए परमेश्वर ने उनकी रक्षा की और जीवित रखा. दोनों उत्तरी और दक्षिणी लोगों के पास अच्छे और बुरे समयों और राजाओं का अनुभव था. लेकिन यहूदा ने अपने राष्ट्रिय संकट के समय में परमेश्वर के भेजे हुए भविष्यवक्ता एलियाह की सुना और कुछ हद तक वैसा ही किया. अंततः यहूदा भी परमेश्वर के प्रेम और अपने विश्वास में गिर गया और अंततः परमेश्वर ने उनसे कहा कि वे लोग अपने आस-पास के राष्ट्रों से अधिक मूर्तिपूजक बनेंगे.
अब हम लगभग 600BC दानिएल की पीढ़ी पर आते है. यहूदा अपने पतन और विनाश के अंतिम वर्षों में था. परमेश्वर ने यर्मियाह भविष्यवक्ता को उठाया, जोकि इजराइल के महान भविष्यवक्ताओं में से एक था, जिसे कि परमेश्वर की ओर से राष्ट्र के अस्तित्व के अंतिम वर्षों में उसका प्रवक्ता था. यर्मियाह ने उनको संसार की नई शक्ति बेबीलोन के बारे में बताया जिसने हाल ही में assyrians को हराया था, वह यरूशलेम के विरुद्ध आयेगा. परमेश्वर बेबीलोन को अपने न्याय के रूप में अपने लोगों पर लाएगा.
और यही हुआ. लगभग 604BC के समय बेबीलोन के राजा ने यहूदा और यरूशलेम के विरुद्ध अपनी सेना भेजी और उन्हें अपने अधीन कर लिया. 586BC तक बेबीलोन के नबुकद्नेसर ने उनके विरोध के फलस्वरूप यहूदा के सम्राज्य और उसकी राजधानी यरूशलेम को पूरी तरह हरा कर नष्ट कर दिया. और जिन्दा बचे हुए बहुत से लोगो को गुलाम और बन्धक बना कर ले गया. यहूदियों के पास अपनी भूमि में सिर्फ एक छोटा टुकड़ा बाकी रह गया. इसके साथ इजराइल के इतिहास का अगला भाग आरम्भ होता है. “The Captivity”.
क्या परमेश्वर ने अपने लोगों को छोड़ दिया था? इससे बहुत दूर. इस कठिन समय के दौरान जबकि यहूदी न्याय झेल रहे थे बावजूद इसके कि बहुत से भविष्यवक्ताओं के द्वारा उन्हें या चेतावनी दशकों और सदियों पूर्व दी गई थी. यर्मियाह, दानिएल और यहेजकेल अपनी- अपनी पीढ़ियों में उनके साथ थे. उन्होंने इजराइल और आस-पास के राष्ट्रों को बताया और सीखे कि क्या हो रहा है और परमेश्वर की हर समय उपस्थिति को दर्शाया.
और घोर अनिश्चितता के इस दौर में परमेश्वर अपने लोगों को उनके भविष्य और आशा के बारे में स्पष्ट भविष्यवाणी लगातार देता रहा. इसका एक उदहारण यर्मियाह कि पुस्तक में मिलता है. परमेश्वर ने यर्मियाह से दो बार यह कहा कि यहूदियों की इस गुलामी का एक सीमित और निचित समय है. “यहोवा यों कहता है: बेबीलोन के सत्तर वर्ष पुरे होने पर मैं तुम्हारी सुधि लूँगा, और अपना यह मनभावना वचन कि मैं तुन्हें इस स्थान से लौटा ले आऊंगा, पूरा करूँगा”. (यर्मियाह २९:१०)
ये सत्तर वर्ष में होना था. और क्या यह हुआ? क्या यह 70 वर्षों कि गुलामी थी? हाँ यह हुआ. बाइबल और संसार के इतिहास के अनुसार, गुलामी के अन्त का आरम्भ 536 और 516 BC में हुआ, यह बेबीलोन ने इजराइल पर कब्ज़ा करने के बाद जब 586BC में अंतिम विनाश और, तब कब्जे के आरम्भ से 70 वर्ष चिन्हित करते हुए लगभग 604BC में हुआ.
इसी क्रम में हम भविष्यवाणी के शाश्वत भाग को देखते हैं, कि परमेश्वर अपने वचन को सदियों तक पूरा करता है. क्या इसी प्रकार बाइबल में और भी कुछ है? क्या इसी प्रकार कुछ और भी है जो हमारे इन दिनों में या आने वाले दिनों में पूरा होने वाला है? इस विषय पर हम और अधिक केन्द्रित करेंगे.
यहूदियों कि गुलामी के सत्तर वर्षों के दौरान, बेबीलोन का सम्राट दो संयुक्तराष्ट्र Medes और Persians से हार गया था. ये दोनों राष्ट्र प्राचीन संसार में अगले 200 वर्षो के लिए एक बड़ी प्रबल शक्ति बन गये. इजराइल के इतिहास का अंतिम भाग “The Return” कहलाता है.यह Persia का राजा Cyrus था जिसने सर्वप्रथम यहूदियों के लिए यह आज्ञा दी कि निर्वासित होकर persia में आये हैं वे वापस अपने राज्य में जा सकते हैं और यरूशलेम को फिर बना सकते हैं.
विनम्र और पश्चातापी इसरायली, जिन्होंने यह निर्णय लिया था कि वे अपने निज भूमि पर लौट जाएँगे ने एक नया प्रयास किया कि वे व्यवस्था और विश्वास को जो उनके पूर्वजों को सदियों पहले दिया गया था बनाये रखे. कुछ समय बाद यरूशलेम फिर से बनाया गया और मंदिर भी बने गया तौभी यह उतना भव्य नहीं था जितना कि सुलेमान के समय था.
परमेश्वर ने यहूदी राष्ट्र को बचाया और और वे Alexander the Great के आने तक और Grecian World rule और उसके बाद सदियों तक रोमी राज्य तक जीवित रहे. इजराइल समाज ग्रीस के शासन काल में उनके प्रभाव में विकसित और परिवर्तित होते रहा. और इजराइल में से वे जो अगुवाई में उस विश्वास में वापस आ गए थे जो मूलतः उन्हें सौपा गया था, वे दूसरे राष्ट्रों से अलग हो गए और अपने परमेश्वर की उपासना करते थे.
कालान्तर में रोम ने उस समय के प्रबल धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में ग्रीस के स्थान पर स्थापित हुआ. और यह मिडिल ईस्ट में रोमी राज्य की पहली शताब्दी थी जिसमे वह समय आया कि यीशु ने बैतलहम शहर में जन्म लिया. इस प्रथम चरण में हमने कम से कम यह सीखा कि भविष्यवाणी क्या है. हमने एक उडती नजर इजराइल के राष्ट्र और लोगों पर भी डाली. और हमने अनेकों में से कुछ भविष्यवाणी जो पुराने नियम में पाई जाती हैं देखा.वे पहले की गई भविष्यवाणीयां अब हमारे लिए हैं. लेकिन यह पा सकते हैं कि कुछ का पूरा होना बाकी है. भविष्यवाणी की निश्चित्तता में या उस समय के लिए जो आने वाला है अभी भी हमारे लिए कुछ ऐसे शब्द हो सकते हैं. आगे हम दक्षिणी इजराइल या यहूदा के बारे में बेबीलोन से आगे अध्ययन करेंगे. यह लगभग 600BC का है.
हम दानिएल के जीवन कि घटनाओं के बारे में अध्ययन करने जा रहे हैं जो एक यहूदी जवान था और बेबीलोन में निर्वासित था. उस समय वह शायद 14 वर्ष से अधिक का नहीं होगा. दानिएल का दूसरा अध्याय हमारी प्रस्तावना होगी और भविष्यवाणी के रास्ते में दूसरा चरण. हम सीखेंगे कि परमेश्वर हमे प्राचीन राजाओं को दिखाता है जो दानिएल के बाद अगली शताब्दियों में आयंगे. और हम सीखेंगे कि परमेश्वर ने स्पष्ट रीति से कहा है कि अंततः अपने समय में वह स्वयं हमारी पृथ्वी पर उसकी अपनी सरकार के द्वारा राज्य करेगा. कुछ लोग इसे मिलेनियम कहते हैं. विश्वास करना कठिन है? आशा है आप आगे स्वयं देखेंगे. परमेश्वर आपको आशीष दे!
connie says
I just finished watching your Introduction video and want to thank you for it. I can’t wait to watch the others and then go back to the Bible and begin reading the Old Testament. I can’t tell you how many times I have tried starting from Genesis, only to stop at some point in further books because I’m not understanding what’s going on. I think with the help of the Holy Spirit, who continually leads me, and with your teachings it’ll paint the picture for me.
However, I was wanting to get the print for your teachings, but this is what I’m seeing:
किसी ने इसको एकत्रित किया और मैंने इसे इजराइल के इतिहास और उसके चरणों के स्थान को स्मरण रखने का सरल तरीका पाया. ये “इजराइल के इतिहास के सात काल” कहलाते हैं. आरम्भ करने के लिए हमारे पास “Abraham to Egypt” है.
Am I doing something wrong, or is this how you intended it to be. Is there an English print? Again, thank you so much for your time and your teaching. May God bless you as you help the millions of others, like me, understand more clearly the history and the path of the Bible.
Mark McMillion says
I’ll send you the English text to this video in an email.
Connie says
I got your email. Thank you so much, Mark.
Connie says
Here’s the link should anyone else ask for it! Be Blessed!!!!
https://www.propheciesofdaniel.com/2013/10/introducing-prophecy-history/
kapil kathane says
यदि मुझे (,2000BC,30AD. ) का मतलब समझाने की कोशिश करोगे तो मुझे समझने मे ओर भी आसानि होगीं ।
और मुझे आपकी पोस्ट बहुत अच्छी लगी ।धन्यवाद
jayshree kapur says
Very nice. I’m born again, sir. Yes, u r right; God say all ways truth in the Bible