अगर तुम किसी विशाल विषय के बारे में बात करना चाहते हो, तुम परमेश्वर के बारे में बात कर सकते हो. या परमेश्वर के नाम के बारे में. जब में परमेश्वर का ज़िक्र करता हूँ, में अक्सर “अब्राहम का परमेश्वर” लफ़्ज़ों का इस्तेमाल करता हूँ. क्योंकि पृथ्वी पर अधिकांश लोग शायद जानते हैं तुम क्या बात कर रहे हो, जब तुम ये लफ्ज़ इस्तेमाल करते हो.
मैं “अल्लाह” या “जेहोवा” या “बाइबल का परमेश्वर” कह सकता था. पर ये सब आजकल हिचकिचाहट और हो सकता है विरोध पैदा सकते हैं. मैं ऐसा लफ्ज़ पाना चाहता था जो ज्यादा से ज्यादा लोगों की समझ में आये और जिसका कम से कम धार्मिक “बोझा” हो.
तुम्हें आश्चर्य होगा कि कितने लोग अपना धार्मिक विश्वास अब्राहम तक खींच ले जाते हैं, एक आदमी जो ४००० वर्ष पहले रहता था, जिसे “विश्वास का पिता” कहा गया है. मैं अब्राहम की बारीकियों में नहीं जायूँगा पर वह कोई वैसा नहीं है जिसके प्रति उसके या उसके जीवन में जो उसने किया, लोगों में ज्यादा नफ़रत पैदा होती हो. मैंने जो पहला वीडियो किया था, “इतिहास में भविष्यवाणी का एक परिचय” “An Introduction to Prophecy in History”, उसमें अब्राहम के बारे में एक हिस्सा है और कैसे जो आज अरबों मानते हैं उसमें से बहुत सारा उसी से शुरू हुआ था. और यहाँ तक की अब्राहम को विशिष्ट, समय से सम्बंधित भविष्यवाणियां मिलीं, जैसे भविष्यवक्ता दानिएल को कुछ १४०० वर्ष बाद में.
मेरे लिए, ये सब काफ़ी निजी है. क्योंकि मुझे परमेश्वर में विश्वास में नहीं बड़ा किया गया था और जब तक मैं १२ वर्ष का हुआ, मैं एक उत्सुक नास्तिक था. और मुझे नास्तिकता से मुक्त कराने के लिए चमत्कारों के एक सिलसिले और मेरी जिंदगी पर परमेश्वर के कुछ कड़े लेकिन रहमदिल अनुशासित हाथ की ज़रुरत पड़ी. उन अनुभवों द्वारा मैं जान पाया की एक आत्मिक संसार भी है और मैं काफ़ी ज्यादा गलत तरफ़ को था, उसकी अँधेरी तरफ़. तो मैंने परमेश्वर को सच में पुकारा, ज्योति, प्रेम और सत्य के परमेश्वर, अब्राहम के परमेश्वर को, मुझे मरने से और नरक जाने से बचाने के लिए, जो में बहुत करीबन करने वाला था.
परमेश्वर के बारे में लिखना विवाद, अज्ञात बातों, राष्ट्रवाद और हटधर्मिता से इतना भरा हुआ है कि मैं सचमुच ये बहुत ज्यादा नहीं करता. लेकिन ये देखना कि परमेश्वर को पवित्र गर्न्थों में कैसे दर्शाया गया है सम्मोहन की बात है. जब से मैं विश्वास करने लगा हूँ मेरी खुद भविष्यवक्ता दानिएल के लेखों में सम्मोहन रहा है. और सम्पूर्ण बाइबल में दानिएल अध्याय ७ में, परमेश्वर के सबसे अनोखे मानस दर्शनों में से एक है. वहां उसे “अति प्राचीन” (दानिय्येल ७:९ & १०) कहा गया है.
यीशु नासरी के सहोदर भाई, याकूब, ने परमेश्वर को “ज्योतियों के पिता” कहा. येशु स्वयं ने कहा “परमेश्वर आत्मा है” और यूहन्ना, येशु के सबसे करीब शिष्य ने कहा, “परमेश्वर ज्योति है” और “परमेश्वर प्रेम है”.
कुरान में, शायद परमेश्वर का सबसे प्रसिद्ध विवरण उसके बारे में कहता है, “अल्लाह, सबसे कृपालु, सबसे रहमदिल, के नाम में”. क्या यह अब्राहम के परमेश्वर का वर्णन है; क्या यह मेरे परमेश्वर के बारे में बोल रहा है. बेशक हाँ.
मेरे खुद का एक सात महीनों का समय रहा था जहाँ मुझे पता था कि परमेश्वर असल में था क्योंकि उसने मेरे जीवन में बड़े तरीके से दखल दिया था और स्पष्ट, चमत्कारी तरीकों द्वारा अपने को प्रदर्शित किया था. मैं जानता था की परमेश्वर सचमुच में है. में ये भी जानता था कि शैतान सचमुच में है क्योंकि उसने भी अपने आप को मुझे साफ़ प्रदशित किया था और मैं उससे कुछ लेना देना नहीं चाहता था.
इसलिए परमेश्वर में जो अरबों लोग विश्वास रखते हैं, अब्राहम के परमेश्वर में, मुझे उनके साथ एक अपनेपन सा आत्मीय रिश्ता महसूस होता है, क्योंकि मैं भी वैसा था. और कई प्रकार से अभी भी हूँ. तो जब मेरी मुलाकात किसी से होती है जो मेरे “समान धर्म” का नहीं है, पर हम अब्राहम के परमेश्वर में एक जैसा विशवास रखते हैं, मुझे आम तौर पर उस शख्स के साथ तुरंत एक अपनापन और नज़दीक का सम्बन्ध महसूस होता है.
ये व्यक्ति मेरे परेश्वर को मानता है, अब्राहम के परमेश्वर को. यह जानता है की परमश्वर महान है और अच्चा है और कि हम एक आत्मिक संसार में रहते हैं, न ही केवल एक शारीरिक, सियासी, प्राकृतिक में. यह उसी परमेश्वर को पूजता है जिसे कि मैं. यह परमेश्वर के सामने विनीत होना और इस संसार के लोगों को प्रेम और परोपकार दिखाना जानता है.
और अक्सर, अगर मैं इस पुरुष या महिला के विशवास के प्रति सम्मान दिखाता हूँ, कि हम दोनों परमेश्वर के प्रति एक गहरा सामान्य विशवास और प्रेम रखते हैं, मैं पाता हूँ की दूसरा व्यक्ति मेरी उसकी इज्ज़त करने का, आदर और मित्रता के साथ जवाब देता है.
शायद एक संसार जो इतना बंटा हुआ और नफ़रत से भरा हुआ हो, जैसे कि ये वाला अभी है, उसमे ये ज्यादा नहीं है. पर ये एक शुरुआत है. ये एक शांति, प्रेम और विशवास कि राह है बजाय कि नफ़रत और लड़ाई कि. पृथ्वी पर सबसे महान आदमी जो कभी चला था उससे पूछा गया की सबसे बड़ी आज्ञा क्या थी. उसने कहा, “तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना.” और फिर उसने कहा कि दूसरी आज्ञा पहली के जैसी है, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना.”
मैं मानता हूँ कि यह अब्राहम के परमेश्वर की मर्ज़ी का प्रतिक है: उसे हमारे पुरे दिल से प्रेम करना. और फिर अपने पड़ोसियों को अपने समान प्रेम करना. अब्राहम का महान परमेश्वर हमें ये चीज़ें करने के लिए प्रेम और शक्ति दे. परमेश्वर के नाम में, आमीन.